पपीता पोषक तत्वों से भरपूर स्वास्थ्यवर्धक जल्दी तैयार होने वाला फल है । जिसे पके तथा कच्चे रूप में प्रयोग किया जाता है ।
बोने की विधि (Seeding Method)
• पपीता के लिए हलकी दोमट मिटटी जिसमें जलनिकास अच्छा हो ठीक रहती है ।
• इसलिए इसके लिए दोमट, हवादार, काली उपजाऊ मिटटी का चयन करना चाहिए और इसका अम्ल्तांक 6.5 – 7.5 के बीच होना चाहिए तथा पानी नहीं रुकना चाहिए ।
• मध्य काली और जलोढ़ मिटटी इसके लिए भी अच्छी होती है ।
• पपीता उष्ण प्रदेशीय फल है इसके उत्पादन के लिए तापक्रम 22 – 26 डिग्री से०ग्रे० के बीच और 10 डिग्री से०ग्रे० से कम नहीं होना चाहिए क्योंकि अधिक ठंढ तथा पाला इसके लिए हानिकारक हैं , जिससे पौधे और फल दोनों ही प्रभावित होते हैं ।
• पपीते को नर्सरी में तैयार किया जाता है और प्रति हैक्टयर 500 ग्राम बीज काफी होता है।
• भारत में नर्सरी में बीज मार्च-अप्रेल, जून-अगस्त में उगाये जाते हैं।
• बीज 20 x 15 सेमी आकार की प्लास्टिक की थैलियों में उगाये जाते हैं।
• जिनको किसी कील से नीचे और साइड में छेड़ कर देते हैं तथा 1:1:1:1 पत्ती की खाद, रेट, गोबर और मिट्टी का मिश्रण बनाकर थैलियों में भर देते हैं ।
• प्रत्येक थैली में दो, तीन बीज बो देते हैं । उचित ऊँचाई होने पर पौधों को खेत में रोप देते हैं ।
• रोपण करते समय थैलि के नीचे का भाग फाड़ देना चाहिए ।
• पपीता बोने के लिए 50 x 50 x 50 से०मी० आकार के गड्ढे 1.5 x 1.5 मीटर के फासले पर खोद लेने चाहिए।
• सप्ताह में 2 बार सिचाई करनी चाहिए और गुड़ाई करते रहना चाहिए और खरपतवार को निकलते रहना चाहिए।