आम को फलों का राजा कहा जाता है ।इसकी खेती उत्तर प्रदेश, बिहार, आन्ध्र प्रदेश, पश्चिमी बंगाल, तमिलनाडु, उडीसा, महाराष्ट्र, और गुजरात में व्यापक स्तर पर की जाती है।
बोने की विधि Seeding Method
• आम के लिए गहरी तथा अच्छी जल निकास वाली मिट्टी अच्छी होती है।
• मिट्टी का पी.एच.मान 6.5-7.5 के बीच ठीक होता है।आम का उत्पादन पोषण जलवायु में किया जा सकता है।
• आम को मुख्यतः भेंट कलम बांधकर किया जाता है, परन्तु विनियर कलम लगाना भी अच्छा है।यह तरीक़ा सरल और कम खर्चीला है इसलिए भेंट कलम लगाने के स्थान पर विनियर कलम को अपनाए जाने की सिफारिश की जाती है।
• आम के पौधे रोपने के लिए सबसे पहले 8-12 मीटर की दुरी पर 1x1x1 मीटर आकर के गड्ढे खोदने चाहिए ।इन गड्ढों को जून के अंत में आधी मिट्टी और गोबर की खाद के से भर देना चाहिए ।
• दीमक से बचाने के लिए प्रत्येक गड्ढे में 50 ग्राम क्लोरवीर को दो लीटर पानी में घोलकर मिश्रण में मिलाना चाहिए ।इसके बाद सिंचाई करनी चाहिए ।
• आम की रोपाई का सबसे उपयुक्त समय बरसात का मौसम है लेकिन जिन क्षेत्रों में भरी वर्षा होती है वहां वर्षा समाप्त होने के बाद भी रोपाई की जा सकती है।
• पुरी तरह विकसित और फल देने वाले आम के वृक्षों को नाइट्रोजन : 725 ग्राम / पौधा, फ़ॉस्फ़रस : 180 ग्राम / पौधा, पोटाश : 680 ग्राम / पौधा की आवश्यकता होती है।
• कम आयु वाले पौधों को गर्मियों के मौसम में हर सप्ताह और सर्दियों के मांह में एक बार सीचना चाहिए । जिन वृक्षों पर फल आ रहे हों उन्हें फल आने की अवस्था से लेकर फलों के पकने की अवस्था तक 10 दिन के बाद सींचना चाहिए ।
• फलों की तुड़ाई जून के आरम्भ से शुरू हो जाती है, मल्लिका जुलाई के तीसरे सप्ताह तक तैयार हो जाती है और आम्रपाली जुलाई के मध्य तक पकना आरम्भ कर देती है ।