नींबू एक अच्छा फल है। उपवास और सभी रोगों में संतरा दिया जा सकती है। जिनकी पाचन शक्ति खराब हो, उनको नींबू का रस तीन गुने पानी में मिलाकर देना चाहिये। नींबू ठंडा, तन और मन को प्रसन्नता देने वाला है।
खेती की विधि (Seeding Method)
• नींबू के लिए दोमट और बलुई दोमट मिट्टी उपयुक्त रहती है।
• नींबू के लिए 6 – 6.5 पी.एच. वाली मिट्टी अच्छी रहती है।
• लवणीय या क्षारीय मिट्टियाँ तथा एसे क्षेत्र जहाँ पानी ठहर जाता हो, नींबू के लिए उपयुक्त नहीं माने जाते।
• बाग़ लगाने के लिए उचित दुरी पर 3 x 3 x 3 फीट आकर के गड्ढे खोदने चाहिए ।
• इन गड्ढों को मिट्टी के साथ 20-25 कि०ग्रा० गोबर की खाद मिलकर भर दिया जाता है।
• दीमक के प्रकोप से बचने के लिए प्रत्येक गड्ढे में 200 ग्राम क्लोरवीर की धुल डालनी चाहिए ।
• पौधे लगाने के लिए बरसात का मौसम ठीक होता है, परन्तु मार्च एवं अप्रेल में भी पौधे लगाये जा सकते हैं।
• पौधे लगाने से पहले हर गड्ढे की मिट्टी में 20 कि०ग्रा० गोबर अथवा कम्पोस्ट खाद और एक किलो सुपर फ़ॉस्फ़ेट मिलाना चाहिए ।
• पूरी तरह विकसित और फल देने वाले पेड़ों के लिए प्रति पेड़़ 60 किग्रा गोबर की खाद, 2.5 किग्रा. अमोनियम सल्फ़ेट, 2.5 किग्रा. सुपर फास्फेट और 1.5 कि.ग्रा. म्यूरेट ऑफ़ पोटाश देना चाहिए चाहिए।
• गोबर की खाद नवम्बर – दिसम्बर में डालनी चाहिए।
• रोपाई के तुंरत बाद बाग़ की सिंचाई करनी चाहिए ।
• 10 या 15 दिन बाद सिंचाई करते रहना चाहिए।
• खरपतवार की रोकथाम करते रहना चाहिए।